Maa Siddhidatri: नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की अराधना की जाती है। साथ ही इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है, वहीं माता के कुछ भक्तों द्वारा हवन-अनुष्ठान कर कन्या पूजन किया जाता है।
वहीं इस बार नवमी तिथि को लेकर कई लोग परेशान है, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि नवमी पूजन 11 को करें या 12 तारीख को। इस बार नवरात्रि तिथियों का ऐसा फेर है कि एक ही दिन में दो तिथियां लग रही हैं। यहीं क्रम दशहरे तक चल रहा है। ऐसे में इस बार अष्टमी और नवमी व्रत को लेकर कंफ्यूजन है कि किस दिन व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं नवरात्रि नवमी का पूजन किस दिन करना सही होगा।
कब है महानवमी ?
दरअसल पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि का आरंभ 10 तारीख के दिन दोपहर 12 हो रहा है जिसका समापन 11 तारीख की दोपहर को होगा। वहीं नवमी तिथि का आरंभ 11 तारीख की दोपहर को होकर 12 तारीख के दिन सुबह 11 बजे तक ही रहेगा। जिन लोगों को नवमी तिथि का पूजन करना है वह 12 अक्टूबर शनिवार को सुबह 10 बजकर 59 मिनट से पहले पहले कन्या पूजन कर लें।अन्यथा, इसके बाद दशमी तिथि शुरु हो जाएगी और दशहरा लग जाएगा
माता का स्वरुप
मां सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। उनका यह रूप भक्तों को ज्ञान, समृद्धि, और मोक्ष का आशीर्वाद देता है। माँ सिद्धिदात्री को कमल के फूल पर आसीन दिखाया जाता है और उनके चारों ओर देवताओं और भक्तों की आराधना की जाती है। माँ सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से व्यक्ति जीवन की सभी समस्याओं से मुक्त होकर सुख और शांति प्राप्त करता है।
महा नवमी का महत्व
महानवमी पर मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सिद्धिदात्री की पूजा से व्यक्ति को सारी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति रोग मुक्ति और भय मुक्त हो जाता है। महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को व्रत का फल देती हैं। इसलिए महानवमी का महत्व सबसे अधिक माना जाता है।
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