Jharkhand News: झारखंड में चलाई जा रही 'मैया सम्मान योजना' की उस समय पोल खुल गई, जब रांची के सदर अस्पताल के बाहर एक दुखद घटना देखने को मिली। दरअसल, गुलशन खातून नाम की एक महिला को अस्पताल में दाखिल करने से मना कर दिया गया। कहा जा रहा है कि डिलिवरी संबंधी समस्याओं के कारण महिला को झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स रेफर किया गया था, लेकिन उसे एम्बुलेंस नहीं मिल सकी।
इसके बाद महिला ने सदर अस्पताल के बाहर ही बच्चे को जन्म दे दिया। घटना 11 अक्टूबर को हुई और इसने राज्य के हेल्थ सिस्टम और झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से महिलाओं के लिए चलाई जा रही मैया सम्मान योजना की भी पोल खोल दी है।
घटना ने हेमंत सोरेन सरकार के तहत झारखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों को उजागर कर दिया है। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने रांची सदर अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। एक यूजर ने कमेंट कर लिखा कि अगर बुनियादी मुद्दों पर ध्यान दिया जाता तो मईया सम्मान योजना जैसी योजनाओं की जरूरत ही नहीं पड़ती।
रांची के सदर अस्पताल में एक महिला अपने बच्चे को जन्म देने अस्पताल पहुंचती है लेकिन उसे अस्पताल में नही लिया जाता बल्कि वहां से निकाल दिया जाता है..
— Rajiv Ranjan kushwaha (@rrkforyou) October 13, 2024
मजबूरी में महिला को सड़क पर ही बच्ची को जन्म देना पड़ा.
कितनी लचर व्यवस्था है रांची सदर अस्पताल की.
बुनियादी सुविधाओं का अभाव दूर हो… pic.twitter.com/sgu26PrZpF
एक यूजर ने लिखा- दलितों और आदिवासियों को करना पड़ता है संघर्ष
एक अन्य यूजर ने हेल्थ सर्विस की स्थिति की आलोचना करते हुए बताया कि दलितों और आदिवासियों को अस्पतालों में इलाज के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने एक महिला की कहानी शेयर की, जिसे अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिए जाने के बाद सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। इस घटना ने सरकारी योजनाओं और स्वास्थ्य सेवा नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए।
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