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Bihar के सीमांचल में देश की अखंडता से खिलवाड़? आंतरिक सुरक्षा पर मंडराया संकट!

Bihar के सीमांचल में देश की अखंडता से खिलवाड़? आंतरिक सुरक्षा पर मंडराया संकट!

 

Muslim appeasement Politics in Bihar: बिहार के सीमांचल में मुसलमानों की जनसंख्या में बढ़ोतरी और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से हिंदुओं लोगों की आबादी तेजी से गिरावट की कई रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं। इसके चलते विशेष रूप से किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया की जनसांख्यिकी में बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है। लेकिन, लालू यादव और उनके परिवार की आरजेडी और इंडिया ब्लॉक में शामिल उसके सहयोगी दलों की वजह से यह स्थिति दिनों दिन भयावह ही होती जा रही है।

इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में इतिहासकार ज्ञानेश कुदसिया के हवाले से बताया था कि बंटवारे के वक्त बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) में 42% हिंदू रह गए थे। 2022 में वहां जो जनगणना हुई थी, उसमें हिंदुओं की आबादी आधिकारिक तौर पर मात्र 7.95% बताई गई। अगर बिहार के सीमांचल में वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण यूं ही चलता रहा तो यह भी देश की एकता और अखंडता के लिए बहुत बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।

उसी रिपोर्ट के मुताबिक 1951 से लेकर 2011 के बीच बिहार के सीमांचल जिलों में मुसलमानों की आबादी 16% बढ़ी थी। आज की तारीख में असम,नेपाल और पश्चिम बंगाल से सटे बिहार के इन जिलों में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर करीब 40 से लगभग 70% तक हो चुकी है। किशनगंज में मुसलमानों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।

यही वजह है कि आज की तारीख में सीमांचल की लोकसभा और विधानसभा सीटों पर जीत की गारंटी मानते हुए इंडिया ब्लॉक की सहयोगियों आरजेडी और कांग्रेस में एक-दूसरे से सीटें झटकने की होड़ लगी दिखती है,तो असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी यहां अपना जनाधार अप्रत्याशित रूप से बढ़ा लिया है।

माना जाता है कि बिहार की सत्ता पर जब-जब लालू यादव का प्रभाव बढ़ता है,राज्य में मुस्लिम तुष्टिकरण बढ़ने लगता है। राजद के नेता मुसलमान वोट बैंक को लेकर कितने परेशान रहते हैं, इसका एक उदाहरण तब सामने आया,जब एक मुस्लिम धार्मिक कार्यक्रम का अनुष्ठान लालू यादव की पत्नी रबड़ी देवी ने अपने हाथों अपने आवास में किया और लालू यादव और उनका पूरा परिवार उसमें पूरी तरह से तल्लीन नजर आए।

दरअसल, बिहार मुसलमानों का इतिहास भारत की एकता और अखंडता के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो चुका है। इसने अगर पाकिस्तान बनवाने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग का साथ दिया, तो बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन के दौरान भी पाकिस्तानी सेना के मुरीद बने रहे।


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