Makar Sankranti 2025: सनातन धर्म में सभी त्योहारों में से मकर संक्रांति का खास महत्व है। मकर संक्रांति को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है। मकर संक्रांति के दिन लोग स्नान-दान, पूजा-पाठ जैसे विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं। इस दिन सूर्य देव धनु राशि के निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी, 2025 को पड़ रही है।
पूरे देश में इसे अलग- अलग नामों से मनाया जाता है। वहीं, इस मौके खिचड़ी खाने की परंपरा काफी लंबे समय से चली आ रही है, जिसका पालन लोग आज भी करते हैं। तो आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण के बारे में-
कैसे शुरू हुई खिचड़ी खाने की परंपरा
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा से जुड़ी कहानी बहुत ही प्रचलित है। एक पौराणिक के अनुसार, जब खिलजी ने देश पर हमला किया तो चारों तरफ संघर्ष चल रहा था। लोग युद्ध के कारण ठीक से खाना नहीं खा पा रहे थे।जिस वजह से लोग धीरे-धीरे कमजोर होते जा रहे थे। इस समस्या का हल निकालते हुए गुरु गोरखनाथ ने सभी को दाल, चावल और सब्जियां मिलाकर एक साथ पकाने को कहा, जो सभी के लिए बेहद आसान था। जब यह युद्ध खत्म हुआ, तो गुरु गोरखनाथ और उनके साथियों ने मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाया, बांटा और इसे खिचड़ी का नाम दिया। तभी से लेकर आज तक मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा चली आ रही है।
खिचड़ी का महत्व
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा है। खिचड़ी बेहद ही पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन है। इसका संबंध सूर्य और शनि से भी माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन खिचड़ी खाने घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान करने का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने के साथ दान-पुण्य भी करने चाहिए।