Uttarakhand News: भाजपा की जमीनी स्तर पर जरा चुनावी रणनीति देखिए। किसी भी निर्वाचन को हल्के में नहीं लेती। हर चुनाव को चुनौती के तौर पर स्वीकार करती है। उसी के अनुसार प्लानिंग करती है। किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव हों या लोकसभा के चुनाव, भाजपा विधायक ही नहीं, मंत्रियों तक के टिकट भी काट देती है। इसी तर्ज पर उसने उत्तराखंड के नगर निगम चुनाव में निवर्तमान मेयरों के टिकट काट दिए हैं।
लगातार दो बार से मेयर रहने वालों को भी मौका नहीं मिला। नए प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया है ताकि पुराने महापौर के कामकाज से हुई नाराजगी को कम किया जा सके। साथ ही नई पौध के जरिये राज्य की सियासी जमीन को पार्टी के लिए और मजबूत किया जा सके।
पिछले 10 साल से जोगेंद्र रौतेला हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम के मेयर थे। वह बेहद सरल और मिलनसार हैं। मेयर का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी एक साल से सक्रिय थे। जिले के कई विधायक उनकी पैरवी भी कर रहे थे। उनकी खुद भी पार्टी में अच्छी पकड़ है। बावजूद इसके भाजपा ने उनका टिकट काटकर गजराज सिंह बिष्ट को मेयर प्रत्याशी बनाया है। बिष्ट पहली बार मेयर पद के लिए चुनाव लड़ेंगे। यह केवल जोगेंद्र रौतेला की कहानी नहीं है। भाजपा ने अन्य निगमों में भी नए चेहरों को मैदान में उतारा है। देहरादून नगर निगम में निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा का टिकट काटकर युवा प्रत्याशी सौरभ थपलियाल को मैदान में उतारा गया है। रुद्रपुर में भाजपा प्रत्याशी विकास शर्मा और काशीपुर में दीपक बाली पहली बार मेयर का चुनाव लड़ेंगे।
पिथौरागढ़ में भी भाजपा प्रत्याशी कल्पना देवलाल पहली बार मेयर का चुनाव लड़ेंगी। राज्य के हर निगम और निकाय के अपने राजनीतिक समीकरण हैं लेकिन भाजपा ने पुराने चेहरों को दरकिनार कर जनता में एक सियासी संदेश देने की कोशिश की है। यह पूरी कवायद प्लानिंग के साथ की गई है लेकिन यह प्रयोग कितना सफल होगा, यह 25 जनवरी को चुनाव नतीजे आने के बाद पता चलेगा। नगर निकाय के बाद पंचायत चुनाव होंगे। इसके बाद 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे, जिसमें ऐसे ही प्रयोग फिर देखने को मिलेंगे।