पीएम नरेंद्र मोदी ने गणतंत्र दिवस पर मन की बात की बात की और खास बात ये रही कि इस बार मन की बात सुबह 11 बजे की बजाय शाम 6 बजे प्रोग्राम प्रसारित हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। उन्होंने किसी भी वजह से हथियार उठाने वाले लोगों को बातचीत के जरिए समाधान खोजने की नसीहत दी। पीएम ने कहा कि दुनिया में कहीं भी हिंसा से लोगों के जीवन बेहतर नहीं हुआ है।
पीएम मोदी ने कहा हम 21वीं सदी में हैं, जो ज्ञान विज्ञान और लोकतंत्र का युग है। क्या आपने किसी ऐसी चगह के बारे में सुना है जहां हिंसा से जीवन बेहतर हुआ हो? क्या आपने ऐसी किसी जगह के बारे में सुना है, जहां शांति और सद्भाव जीवन के लिए मुसीबत बने हों? हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं करती।
प्रधानमंत्री मोदी ने असम और त्रिपुरा में पिछले दिनों मिलिटेंड ग्रुप से जुड़े लोगों के सरेंडर में आई तेजी का जिक्र करते हुए कहा, पिछले कुछ दिनों पहले असम में 8 अलग-अलग मिलिटेंड ग्रुप के 644 लोगों ने अपने हथियारों के साथ आत्म-समर्पण किया, जो पहले हिंसा के रास्ते पर चले गए थे उन्होंने अपना विश्वास शांति में जताया और देश के विकास में भागीदार बनने का निर्णय लिया है, मुख्य-धारा में वापस आए हैं।
उनका यह विश्वास दृढ़ हुआ है कि शांति और एकजुटता ही, किसी विवाद को सुलझाने का एकमात्र रास्ता है। नॉर्थ ईस्ट में इंसरजेंसी कम हुई है और सबसे बड़ी वजह यह है कि इस क्षेत्र से जुड़े हर एक मुद्दे को शांति के साथ, ईमानदारी से, चर्चा करके सुलझाया जा रहा है।
गगनयान मिशन को लेकर पीएम ने कहा, गणतंत्र-दिवस के पावन अवसर पर मुझे गगनयान के बारे में बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है। देश, उस दिशा में एक और कदम आगे बढ़ चला है। 2022 में हमारी आजादी के 75 साल पूरे होने वाले हैं। उस मौके पर हमें गगनयान मिशन के साथ एक भारतवासी को अंतरिक्ष में ले जाने के अपने संकल्प को सिद्ध करना है। पीएम ने बताया कि इस मिशन पर जाने के लिए 4 उम्मीदवारों का चयन कर लिया गया है। ये चारों युवा भारतीय वायु-सेना के पायलट हैं। ये अगले कुछ ही दिनों में ट्रेनिंग के लिए रूस जाने वाले हैं। इन्हें एक साल से अधिक समय तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद देश की आशाओं और आकांक्षाओं की उड़ान को अंतरिक्ष तक ले जाने का दारोमदार, इन्हीं में से किसी एक पर होगा।
पीएम ने कहा कि दो सप्ताह पहले जब देश में कई त्योहार मनाए जा रहे थे उस दौरान दिल्ली एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बन रही थी। मोदी ने कहा, दिल्ली में, एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके साथ ही, लगभग 25 वर्ष पुरानी ब्रू-रियांग रिफ्यूजी क्राइसिस, एक दर्दनाक चैप्टर का अंत हो गया। पीएम ने कहा कि यह समस्या 90 के दशक की है। 1997 में जातीय तनाव के कारण ब्रू रियांग जनजाति के लोगों को मिजोरम से निकल करके त्रिपुरा में शरण लेनी पड़ी थी। इन शरणार्थियों को उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर स्थित अस्थाई कैंपों में रखा गया। उन्हें 23 साल तक हर बुनियादी सुविधा से वंचित होना पड़ा। पीएम ने कहा, इतने कष्ट के बावजूद भारतीय संविधान और संस्कृति के प्रति उनका विश्वास अडिग बना रहा। इसी विश्वास का नतीज़ा है कि उनके जीवन में आज एक नया सवेरा आया है। समझौते के तहत, अब उनके लिए गरिमापूर्ण जीवन जीने का रास्ता खुल गया है।
जमीन से जुड़े लोगों को सम्मानित किए जाने का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, हर साल की तरह कल शाम पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है। मेरा आग्रह है कि आप सब इन लोगों के बारे में जरूर पढें। 2020 के पद्म-पुरस्कारों के लिए, इस साल 46 हज़ार से अधिक नामांकन प्राप्त हुए हैं। ये संख्या 2014 के मुकाबले 20 गुना से भी अधिक है। यह आंकड़े जन-जन के इस विश्वास को दर्शाते हैं कि पद्म-अवार्ड, अब पीपल्स अवॉर्ड बन चुका है। आज पद्म- पुरस्कारों की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है। पद्म-पुरस्कारों को लेकर देश में एक नया विश्वास और सम्मान पैदा हुआ है। अब सम्मान पाने वालों में से कई लोग ऐसे होते हैं जो परिश्रम की पराकाष्ठा कर जमीन से उठे हैं। सीमित संसाधन की बाधाओं और अपने आस-पास की घनघोर निराशा को तोड़कर आगे बढ़े हैं। दरअसल उनकी मजबूत इच्छाशक्ति सेवा की भावना और निस्वार्थ-भाव, हम सभी को प्रेरित करता है।
पीएम ने कहा, मैं असम की सरकार और असम के लोगों को खेलो इंडिया की शानदार मेजबानी के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 22 जनवरी को ही गुवाहाटी में तीसरे खेलो इंडिया गेम्स का समापन हुआ है। इसमें विभिन्न राज्यों के लगभग 6 हजार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इस महोत्सव में 80 रिकॉर्ड टूटे और मुझे गर्व है कि जिनमें से 56 रिकॉर्ड तोड़ने का काम हमारी बेटियों ने किया है। पीएम ने कहा कि 22 फरवरी से 1 मार्च तक ओडिशा के कटक और भुवनेश्वर में पहले 'खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स' का आयोजन किया जाएगा।