हम सभी को अपने जीवन में पैसों की जरुरत होती है। कही जाना हो या किसी प्रकार का कोई सामान खरीदना हो बिना पैसों के कुछ भी नहीं खरीदा जा सकता है। आज के समय में पैसों की अहमियत दोगुनी हो गई है। वहीं हाल ही में RBI ने 2,000 के नोटो के सर्कुलेशन वापस लेने का फैसला किया है। खबरों के अनुसार 2,000 के नोटों की छपाई बहुत पहले ही बंद कर दी गई थी। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल होगा कि आखिर यह नोट कहां छापे जाते है और किन लोगों के द्वारा नोटों की छपाई की जाती है। इस आर्टिकल में आज हम आपके इसी सवाल का जवाब देने जा रहे है इसलिए ध्यान से पढ़े पूरे आर्टिकल को, चलिए जानते है...
ये लोग करते हैं नोट छापने का काम
आपको बता दें कि भारतीय करेंसी के नोट भारत सरकार और RBI द्वारा छापे जाते हैं। नोटों को छापने के लिए केवल सरकारी प्रिंटिंग प्रेस मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
ऐसे हुई नोट छपने की शुरुआत
-मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में नोट छापने के उद्देश्य से साल 1926 में महाराष्ट्र के नासिक में एक प्रिंटिंग प्रेस शुरू की गयी थी।
-इन प्रिंटिंग प्रेस में 10, 100 और 1000 के नोट छापने का काम शुरु किया गया था। हालांकि, तब भी कुछ नोट इंग्लैंड से मंगाए जाते थे।
-साल 1947 तक नोट छापने के लिए सिर्फ नासिक प्रेस ही प्रयोग में ली जाती थी। उसके बाद साल 1975 में मध्यप्रदेश के देवास में देश की दूसरी प्रेस शुरू की गई और 1997 तक इन दोनों प्रेस से नोट छापे जा रहे थे।
- साल 1997 में सरकार ने अमेरिका, कनाडा और यूरोप की कंपनियों से भी नोट मंगवाने शुरू किए।
-साल 1999 में कर्नाटक के मैसूर में और फिर साल 2000 में पश्चिम बंगाल के सलबोनी में भी नोटों की छपाई के लिए प्रिटिंग प्रेस शुरू की गई।
पूरे देश में चार जगह छपते हैं नोट
वर्तमान में देवास, नासिक ,सलबोनी और मैसूर जगह ही नोट छापे जाते हैं।
- देवास और नासिक की प्रेस वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नेतृत्व में काम करती हैं।
- वहीं, सलबोनी और मैसूर की प्रेस को भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी कंपनी RBI नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड संचालित करती है।
नोट छापने के लिए यहां से आता है पेपर
भारतीय करेंसी में प्रयोग किया जाने वाला पेपर जर्मनी, यूके और जापान से आयात किया जाता है।RBI अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय मुद्रा के 80% नोट विदेश से आने वाले कागज पर ही छापे जाते हैं। वैसे भारत के पास भी एक पेपर मिल सिक्योरिटी पेपर मिल (होशंगाबाद) है। जो नोट और स्टांप के लिए पेपर बनान का काम करती है। वहीं, नोटों में लगने वाली स्पेशल स्याही स्विजरलैंड की कंपनी SICPA से मंगाई जाती है।
हालांकि, कर्नाटक के मैसूर में भी केंद्रीय बैंक की सब्सिडियरी RBI नोट मुद्रण (BRBNMPL) की स्याही बनाने वाली यूनिट वर्णिका (Vernika) की स्थापना की गयी है।