देशभर में आज लोहड़ी का त्यौहार मनाया जा रहा है। हर साल यह त्यौहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले आता है। लोहड़ी खासतौर पर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस दिन आग में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाने का रिवाज होता है। लोहड़ी का त्यौहार किसानों का नया साल भी माना जाता है। इसके अलावा लोहड़ी को सर्दियों के जाने और बसंत के आने का संकेत भी माना जाता है। वही, कई जगहों पर लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है।
कैसे मनाई जाती है लोहड़ी
लोहड़ी पर आग जलाकर या यूं कहें कि बोन फायर करके पूजा की जाती है। वही, पूजा के दौरान लोग आग में मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ चढ़ाते हैं। आग में ये चीजें चढ़ाते समय ‘आधार आए दिलाथेर जाए’ बोला जाता है। इसका मतलब होता है कि घर में सम्मान आए और गरीबी जाए। इसके अलावा किसान सूर्य देवता को भी नमन कर धन्यवाद देते हैं। ये भी माना जाता है कि किसान खेतों में आग जलाकर अग्नि देव से खेतों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रार्थना करते हैं। इसके बाद मूंगफली रेवड़ी, पॉपकॉर्न और गुड़ प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैं। लोहड़ी के दिन पकवान के तौर पर मीठे गुड के तिल के चावल, सरसों का साग, मक्के की रोटी बनाई जाती है। लोग इस दिन गुड़-गज्जक खाना शुभ मानते हैं। पूजा के बाद लोग भांगड़ा और गिद्दा करते हैं।
लोहड़ी का महत्व
आमतौर लोहड़ी का त्यौहार सूर्य देव और अग्नि को आभार प्रकट करने, फसल की उन्नति की कामना करने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा लोहड़ी का महत्व एक और वजह से हैं क्योंकि इस दिन सूर्य मकर राशि से गुजर कर उत्तर की ओर रूख करता है। ज्योतिष के मुताबिक, लोहड़ी के बाद से सूर्य उत्तारायण बनाता है जिसे जीवन और सेहत से जोड़कर देखा जाता है।
क्यों मनाते हैं लोहड़ी
आपने लोहड़ी तो खूब मनाई होगी लेकिन क्या असल में आप जानते हैं क्यों मनाई जाती है लोहड़ी। बहुत से लोग लोहड़ी को साल का सबसे छोटा दिन और रात सबसे लंबी के तौर पर मनाते हैं। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाई जाती है। लोहड़ी को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इस दिन लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के रूप में हुआ था। बेशक होलिका का दहन हो गया था। किसान लोहड़ी के दिन को नए साल की आर्थिक शुरुआत के रूप में भी मनाते हैं।
इस दिन सुनी जाती है दुल्ला भट्टी की कहानी
लोहड़ी के दिन अलाव जलाकर उसके इर्द-गिर्द डांस किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है। लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है। मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था। उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी। कहते हैं तभी से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है।