Jharkhand Chunav: झारखंड में अवैध-घुसपैठियों का मामला देखने को मिला है इस मुद्दे को लेकर राज्य में सियासी घमासान मचा है और JMM सरकार आलोचना का शिकार हो रही है।
रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी बड़ा बयान देते हुए कहा कि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा बड़ा है और इसे रोकने की जिम्मेदारी राज्य के प्रशासन की भी है, जो इसे बढ़ावा दे रही है।
'हमारी सरकार आने पर घुसपैठियों को बख्शा नहीं जाएगा'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के आने पर घुसपैठियों को बख्शा नहीं जाएगा। राज्य में घुसपैठ को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पर्याप्त कदम उठाए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रशासन की कमी के कारण यह मुद्दा बना हुआ है। घुसपैठियों से कहूंगा की चैन की नींद लेने के उनके दिन अब गए।
संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ को मिला बढ़ावा
अवैध घुसपैठियों के कारण ना सिर्फ राज्य को नुकसान हो रहा है बल्कि देश पर भी खतरा मंडरा रहा है। राजनीतिक दल ही नहीं, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी दावा रहा है कि मौजूदा सरकार के रवैए के कारण संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ को बढ़ावा मिला रहा है।
आरोप लगते रहे हैं कि प्रशासन का ढीला रवैए है जिस कारण अवैध घुसपैठिए जरूरी दस्तावेज हासिल कर राज्य में आ जाते है जिन्हें बेनकाब करना मुश्किल होता है।
देश भूला नहीं अंकिता पेट्रोल हत्याकांड
गौरतलब है कि झारखंड के दुमका में 23 अगस्त 2022 को एक सनसनीखेज मामला सामने आया था जिसमें नाबालिग अंतिका सिंह के ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी , जिस मामले में नईम और शाहरुख दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। कहा जाता है कि अंकिता को ना सिर्फ प्रताड़ित करके मारा गया बल्कि उसका धर्मांतरण करवाने की कोशिश भी की गई थी।
झारखंड और देश की जनता अब भी विभत्स अंकिता हत्याकांड को भूली नहीं है। झारखंड में वर्तमान में जो कानून है उसे देखते हुए हालत काफी गंभीर दिख रहे है। इस हत्याकांड के आने के बाद सोरेन सरकार का रवैया सवालों के घेरे में है।
सरकार के पार रटा रटाया जवाब
वहीं दूसरी तरफ JMM सरकार की ओर से कानून की अदालत से लेकर जनता की अदालत तक में सिर्फ एक ही जवाब सुनने को मिलता है कि राज्य में अवैध-घुसपैठियों जैसा कोई मुद्दा है ही नहीं। लेकिन,मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह से साहिबगंज के जिलाधिकारी ने यह बात मान ली है कि 2017 से 4 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा गया और 'इस क्षेत्र में जनसांख्यिकी बदलाव से कोई मना नहीं कर सकता' हेमंत सोरेन सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है।
झारखंड में जनसांख्यिकी बदलाव का सबसे कड़वा सच तो महान संथाल क्रांतिकारी सिद्धो-कान्हू के गांव भोगनाडीह ही बयां करता है। जहां, अब आदिवासी अल्पसंख्यक हो चुके हैं और मुसलमान बहुसंख्यक बन गए हैं। खास बात ये है कि यह गांव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चुनाव क्षेत्र बेरहट का ही हिस्सा है।