Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार इंडिया गठबंधन को नुकसान हुआ तो उन्होंने इसका ठीकरा ईवीएम मशीन पर थोप दिया। जबकि झारखंड चुनाव में आए नतीजों को लेकर इंडिया गठबंधन ने कोई मुद्दा नहीं उठाया। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को लेकर आशंका ने विपक्ष की मंशा पर एक फिर सवाल उठ रहे हैं। तमाम आरोपों, प्रत्यारोपों को बीच ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग के बयान चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाने वालों पर ही सवाल खड़े करते हैं। इस बीच विपक्ष के ईवीएम छेड़छाड़ के आरोपों से राजनीतिक अवसरवादिता के आरोप लग रहे हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद विपक्षी दलों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर चिंता जताई है। शिवसेना-यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे ने ईवीएम को लेकर संदेह जताया। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी महाराष्ट्र में हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ दिया। चुनाव परिणाम आते ही कांग्रेस नेता चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर आशंका व्यवक्त करने लगे।
वहीं शिवसेना यूबीटी ने एक बैठक आयोजित की, जिसमें पराजित उम्मीदवारों ने ईवीएम घोटाले की आशंका जताई। ठाकरे ने उन मतदान केंद्रों पर 5% वीवीपैट की पुनर्गणना के लिए याचिका दायर करने का फैसला किया है, जहां ईवीएम से छेड़छाड़ का संदेह है। उन्होंने सभी हारने वाले उम्मीदवारों को निर्देश दिया कि वे इन बूथों पर तुरंत पुनर्गणना का अनुरोध करें।
शिवसेना-यूबीटी की बैठक में हारे हुए उम्मीदवारों ने EVM घोटाले का शक जताया गया। उद्धव ठाकरे ने फैसला किया है कि जिन मतदान केंद्र पर ईवीएम छेड़छाड़ का शक है, वहां पर 5 फीसदी VVPAT के रीकाउंटिंग की याचिका दायर की जाएगी. उद्धव ठाकरे ने अपने सभी पराजित उम्मीदवारों को आदेश दिया है कि जिन पोलिंग बूथ पर ईवीएम छेड़छाड़ का शक है, वहां पर 5 फीसदी VVPAT की दोबारा गिनती करने की याचिका जल्द दायर करें।
वहीं सोलापुर के मरकडवाडी गांव में एक अजीबोगरीब घटना, जहां स्थानीय लोगों ने मतपत्रों का उपयोग करके अवैध "पुनः चुनाव" की योजना बनाई थी, राजनीतिक बयानबाजी से फैली गलत निराशा का एक पाठ्यपुस्तक उदाहरण बन गया है। ईवीएम को लेकर असंतुष्ट ग्रामीणों ने पुनर्मतदान की घोषणा करते हुए बैनर दिखाए, लेकिन प्रशासन की ओर से उन्हें स्पष्ट रूप से 'नहीं' मिला। स्थानीय उप-विभागीय मजिस्ट्रेट ने इस कदम को सही ही अवैध और अलोकतांत्रिक करार दिया।