ईद-अल-अजहा यानी बकरीद जल्द ही देशभर में मनाई जाएगी। ऐसे में चांद अगर 30 जुलाई की शाम को दिखाई दिया तो ईद 31 जुलाई को जुमे के दिन होगी और यदि इस तारीख यानि शुक्रवार को चांद न दिखा तो 1 अगस्त, शनिवार के दिन ईद मनाई जाएगी। इस्लामिक कैलेंडर में ईद उल अजहा या ईद उल अदहा को बकरीद कहा जाता है। इसका अर्थ है 'कुर्बानी की ईद'।
साल में दो बार मनाई जाती है Eid
दरअसल, इस्लाम को मानने वाले दो ईद मनाते हैं। पहली ईद रमजान का महीना खत्म होते ही आती है, उसे 'मीठी ईद' कहा जाता है। वही, दूसरी ईद 'कुर्बानी की ईद' होती है, जिसे रमजान का महीना खत्म होने के लगभग 70 दिन बाद मनाया जाता है।
...तो इसलिए मनाई जाती है बकरीद
इस्लाम मजहब की मान्यता के अनुसार, कहा जाता है अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी थी। हजरत इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे, लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। अल्लाह के हुक्म की फरमानी करते हुए हजरत इब्राहिम ने जैसे ही अपने बेटे की कुर्बानी देनी चाही तो अल्लाह ने एक दुंबा की कुर्बानी दिलवा दी। कहते हैं तभी से बकरीद का त्योहार मनाया जाने लगा। इसलिए ईद-उल-अजहा यानी 'बकरीद' हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है।
कोरोना संकट के चलते इस बार ऐसे मनाई जाएगी ईद
जैसा की आप जानते ही है पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है, ऐसे में देश में इस बार ईद सादगी के साथ मनाई जाएगी। यही नहीं, ईद की मुबारकबाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही दूर से देने की अपील की जा रही है। इसके अलावा लगातार लोगों से अपील की जा रही है कि वह घर पर रह कर ही नमाज अदा करें है। वही, कहा जा रहा है कि जानवर की कुर्बानी भी बंद जगह में की जाएगी।