अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अपने संबोधन में पनामा नहर पर फिर से अमेरिकी नियंत्रण स्थापित करने की संभावना जताई है। ट्रंप ने इसे अमेरिका द्वारा "मूर्खतापूर्ण तरीके से" पनामा को सौंपा गया फैसला बताया। उन्होंने कहा कि यह नहर, जो अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ती है, से गुजरने वाले जहाजों पर "अनुचित" शुल्क लगाया जा रहा है।
पनामा के राष्ट्रपति ने जताई आपत्ति
ट्रंप की इस टिप्पणी के बाद पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने इसे देश की संप्रभुता का अपमान करार दिया और कहा कि पनामा नहर पर किसी अन्य का दावा स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, "यह नहर पनामा का हिस्सा है और आगे भी रहेगा।" ट्रंप ने यह बयान अपनी चुनावी जीत के बाद पहली बड़ी रैली में दिया। उन्होंने एरिज़ोना में आयोजित ‘अमेरिकाफेस्ट’ कार्यक्रम में समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका प्रशासन अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, सीमाओं को सुरक्षित बनाएगा और अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को समाप्त करने की दिशा में काम करेगा।
उन्होंने कहा, "हम पनामा नहर को लेकर उचित कदम उठाएंगे। यह अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।" ट्रंप ने अपने अगले कार्यकाल में इस मुद्दे को प्राथमिकता देने का संकेत दिया।
पनामा का जवाब
पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "पनामा नहर हमारी राष्ट्रीय संपत्ति है और हम इसे लेकर किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारे देश में इस मुद्दे पर कोई मतभेद नहीं है।"
गौरतलब है कि अमेरिका ने 1904 में पनामा नहर का निर्माण शुरू किया था और 1999 तक इसका नियंत्रण अपने पास रखा। 1977 में हुए एक समझौते के तहत इसे पनामा को सौंप दिया गया था। हालांकि, ट्रंप ने इसे "गलत निर्णय" बताया और इसे फिर से अमेरिकी नियंत्रण में लेने की मंशा जाहिर की है। इस विवाद के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो सकती है।