दिल्ली में हर साल इन महीनों में प्रदूषण की मार झेलती जनता को उपायों के नाम पर सरकार और प्रशासन द्वारा बरगलाया जाता है लेकिन हवा को जहरीली बनाने वाली वाजिब वजहों पर काम नहीं किया जाता। उदाहरण बतौर- दिल्ली में शादियों का सीजन शुरू हो रहा है और ऐसे में दिल्ली के हजारों बैंक्वेट हॉल दिल्ली की हवा में और ज्यादा जहर घोलने को तैयार बैठे हैं।
जितने बैंक्वेट हैं सबमें जनरेटर का प्रयोग होता ही होता है और वो भी शत प्रतिशत अवैध रूप से। जनरेटर बैन है और इसके प्रयोग पर जुर्माना के साथ-साथ जेल तक का प्रावधान है लेकिन कितने बैंक्वेट इस बैन का पालन कर रहे हैं? जिस बैंक्वेट में भी फंक्शन के समय रेड किया जाए वहीं जनरेटर चलता मिलेगा। कैसे चल रहे हैं ये हजारों जनरेटर? प्रशासन क्यों नहीं करता कार्रवाई? ये बड़े सवाल हैं।
दिवाली पर पटाखे बैन को दिल्ली की जनता ने अस्वीकार करते हुए जमकर पटाखे जलाए क्योंकि उन्हें भी पता है कि प्रदूषण के असली कारणों पर काम नहीं किया जा रहा है। दिल्ली में इस साल शादियों का रिकॉर्ड टूटने वाला है। बेंक्वेट्स में एक दिन में कई फंक्शन बुक हो रहे हैं।
मतलब चौबीस घंटे गरजते रहेंगे जहर फेंक जेनरेटर्स। अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जब इतने साते डीजल इंजन एक साथ दिल्ली के तमाम इलाकों में घंटों तक चलते रहेंगे तो AQI की स्थिति क्या होगी ! भगवान ही मालिक है दिल्ली का, क्योंकि जिम्मेदारी में बैठा इंसान तो कुछ कर नहीं रहा।
(Reporter Shivendra)