राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात का समय नहीं मिलने को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज दिल्ली में राजघाट पर विधायकों के साथ धरने पर बैठेंगे। मालगाड़ियों की आवाजाही पर केन्द्र की ओर से लगाई गई रोक के बाद राज्य में गहराते बिजली संकट तथा उद्योग को भारी नुकसान और आवश्यक वस्तुओं की कमी को लेकर वह राष्ट्रपति से मिलना चाहते थे ताकि राज्य के हालात से उन्हें रूबरू कराया जा सके।
दरअसल, सीएम अमरिंदर सिंह ने एक वक्तव्य में कहा था कि वह राजघाट पर विधायकों के साथ धरने पर बैठेंगे ताकि रेल मंत्रालय द्वारा राज्य में मालगाड़ियों के आवागमन की अनुमति न दिए जाने के कारण उत्पन्न बिजली संकट और आवश्यक वस्तुओं की स्थिति गम्भीर होने की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया जा सके। उन्हाेंने कहा कि राज्य में मालगाड़ियां स्थगित किए जाने के कारण पैदा हुआ संकट गहराता जा रहा है जिसके कारण सभी ताप विद्युत संयंत्र बंद हो गए हैं तथा साथ ही कृषि और सब्जियों की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है।
अमरिंदर का अपने विधायकों के साथ राजघाट पर धरना महज राजनीतिक स्टंट : भाजपा
वही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के अपने विधायकों के साथ दिल्ली राजघाट पर धरने देने की घोषणा को राजनीतिक स्टंट करार दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद उभरने का प्रयास कर रही अर्थव्यवस्था को किसान आंदोलन के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
तरुण चुग ने आगे कहा कि किसान आंदोलन के नाम पर सोची समझी साजिश के तहत अमरिंदर सरकार प्रदेश की आर्थिक नाकेबंदी करने की कोशिश कर रही है। ऐसा लगता है कि पंजाब के आंदोलन में अर्बन नक्सलवाद की घुसपैठ हो चुकी है।