विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि चीन वर्तमान में जिस श्वसन संबंधी बीमारियों से जूझ रहा है, वह कोविड-19 महामारी से पहले जितनी अधिक नहीं है, उन्होंनेकहा कि हाल के मामलों में कोई नया या असामान्य रोगज़नक़ नहीं पाया गया है।
बता दें कि उत्तरी चीन में सांस संबंधी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, खासकर बच्चों में अधिक तौर पर इस बीमारी के लक्षण देखे जा रहे हैं। जिससे देश में पहली बार कोविड-19 के उभरने के 4 साल बाद एक नई महामारी के खतरे की अटकलें तेज हो गई हैं। हालाँकि, चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि बढ़ते संक्रमण पहले से ज्ञात वायरस का मिश्रण हैं और पिछले दिसंबर में सख्त कोविड प्रतिबंध हटाए जाने के बाद देश के पहले पूर्ण ठंड के मौसम से जुड़े हैं।
13 नवंबर को चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि की सूचना दी, खासकर बच्चों में। चीनी अधिकारियों ने बढ़ते मामलों के लिए कोविड प्रतिबंधों की समाप्ति, ठंड के मौसम के आगमन और इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) और SARS-CoV-2 - वायरस जो ज्ञात रोगजनकों के प्रसार को जिम्मेदार ठहराया है।
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस अज्ञात बीमारी को लेकर चीन से सूचना मांगने और इस विषय पर दुनिया के साथ जानकारी साझा की थी। जिसके बाद से दुनिया भर में यह एक ग्लोबल मुद्दा बन गया था। WHO ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि चीन में फैल रही सांस की बीमारी में अबतक कोई नया पैथोजन नहीं मिला है और नाहि कोई नया वायरस। फिलहाल इस खबर के सामने आ जाने से दुनिया भर के देश भी अलर्ट मोड़ पर आ गए हैं। क्योंकि पूर्व मे चीन पर कोराना और इसके फैलाव को लेकर भी सवालिया निशान खड़े होते रहे हैं, दरसल चीन में एक्सोटिक एनिमल बाजारों का लगना आम है। जहां जिंदा जानवरों में चमगादड़, कुत्तों से लेकर सांप तक दुकानों पर बिकने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। ऐसे में एक स्थान पर रहने से संक्रमित जानवर से अन्य जानवरों में यह बीमारी आसानी से फैल जाती है जिसके बाद अंत में इंसानों का इसकी चपेट में आ खतरा बना रहता हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार चीन में बच्चों के अस्पताल में रोजना करीब 7000 हजार नए निमोनिया मरीज सामने आ रहे हैं