आपने आमतौर पर सिखों को पगड़ी पहने देखा होगा। सिख अपने लंबे बालों को कभी नहीं काटते और बिना कटे बालों को ढकने के लिए पगड़ी पहनते हैं। सिखों की पहली और प्रमुख पहचान उनकी पगड़ी होती है, जिसे पग भी कहा जाता है। सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया के कई हिस्सों में सिखों की खासी आबादी इस पगड़ी की वजह से अलग पहचानी जाती है। लेकिन आपने ध्यान दिया है कि कई ऐसे सिख होते है जो हरे, नीले या पीले रंग की पगड़ी पहनते है। क्या इन रंग का पगड़ी से कोई खास संबंध है? आज हम सिखों की पगड़ी के रंग के बारे में बात करेंगे कि सिखों में पगड़ी के रंग आखिर क्या कहते हैं। क्या अलग-अलग रंग की पगड़ी क्यों पहनी जाती है।
पगड़ियों का रंग से है खास संबंध
केसरी रंग की पगड़ी
केसरी रंग की पगड़ी पहनने का मतलब है कि शूरवीर या लड़का किसी कारण के लिए लड़ने के लिए तैयार है। दिमागी तौर पर वह किसी भी तरह के टकराव की तैयारी कर चुका है। केसरी रंग सिखों के साथ राजपूत लड़ाकों का परंपरागत रंग भी है। 80 के दशक में सिख अधिकार आंदोलन के दौरान केसरी रंग भारतीय सरकार के खिलाफ सिखों की बगावत या नाराजगी का प्रतीक बन गया।
पीले रंग की पगड़ी
पीले रंग का मतलब ही क्रांतिकारी है। जब भारत में ब्रिटिश राज था तब भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथ हमेशा पीले रंग की पगड़ी या पटका पहनते थे। इसी कारण हाल ही में आम आदमी पार्टी ने सिखों की पगड़ी का रंग पीला रखा। पीले रंग की पगड़ी पहनने वाले सिख क्रांतिकारी विचारों को जाहिर करते हैं।
गुलाबी रंग की पगड़ी
जब सिख शादी में शामिल होते हैं या किसी विवाह समारोह का हिस्सा बनते हैं तो वह गुलाबी रंग की पगड़ियां या साफा पहनते हैं। हालांकि खुशी के मौके पर लाल, मैरून या भगवा रंग की पगड़ियां भी पहनी जाती है।
लाल और नीली रंग की पगड़ी
पंजाब पुलिस के सिख जवान लाल और नीले रंग की पगड़ियां पहनते हैं, ये ब्रिटिश राज से ही चल रहा है।
सिख समुदाय के लिए पगड़ी उनके धर्म से जुड़ा मसला है। खालसा समूह के सिख आमतौर पर नारंगी और नीले रंग की पगड़ी बांधते हैं क्योकि नीला रंग लड़ाकू होने की निशानी है। वे खुद को अपने धर्म का रक्षक मानते हैं। यह रंग उनकी बीती पीढ़ियों की बहादुरी का भी परिचायक है। यह सिख समुदाय द्वारा लड़े गए जंगों की भी निशानी है।