जेट एयरवेज के खिलाफ एसबीआई के नेतृत्व में 26 बैंकों के कंसोर्शियम ने मंगलवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालिया याचिका दाखिल कर दी। न्यूज एजेंसी के मुताबिक बैंकों की याचिका पर बुधवार से सुनवाई शुरू होगी। बैंकों के फैसले से एयरलाइन का शेयर 41% लुढ़क गया। बीएसई पर शेयर 40.78% नुकसान के साथ 40.45 रुपए पर बंद हुआ। एनएसई पर 40.79% नीचे 40.50 रुपए पर क्लोजिंग हुई। कारोबार के दौरान 53% गिरावट आ गई थी।
जेट में हिस्सेदारी बेचने के लिए बिडिंग प्रक्रिया फेल होने की वजह से कर्जदाताओं ने सोमवार को दिवालिया प्रक्रिया में जाने का फैसला लिया था ताकि कर्ज की वसूली कर सकें। जेट एयरवेज पर बैंकों का 8,500 करोड़ रुपए का कर्ज है। बैंकों के कर्ज के अलावा जेट एयरवेज पर सैंकड़ों वेंडर्स, एयरक्राफ्ट लीजदाताओं के 10,000 करोड़ रुपए और कर्मचारियों के वेतन के 3,000 करोड़ बकाया हैं। एयरलाइन के करीब 23,000 कर्मचारियों को मार्च से वेतन नहीं मिला है। पिछले कुछ सालों में जेट को 13,000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। एयरलाइन की कुल देनदारियां 36,500 करोड़ रुपए तक हैं।
400 करोड़ रुपए की इमरजेंसी फंडिंग नहीं मिलने की वजह से 17 अप्रैल को जेट ने सभी उड़ानें बंद कर दी थीं। उसके बाद जेट का भविष्य पूरी तरह से बैंकों की ओर से मांगी गई बोलियों से मिलने वाले निवेश पर टिक गया था, लेकिन बिडिंग सफल नहीं रही। सिर्फ एक सशर्त बोली मिली। जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल और पत्नी अनीता को पिछले महीने मुंबई एयरपोर्ट पर फ्लाइट से उतार लिया गया था। वे दुबई की फ्लाइट में सवार हो चुके थे। गोयल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी होने की वजह से उन्हें विदेश जाने से रोका गया। एजेंसियां जेट में वित्तीय गड़बड़ियों की आशंका को लेकर जांच कर रही हैं।
कर्ज में फंसी जेट एयरवेज के रेजोल्यूशन प्लान के तहत नरेश गोयल और पत्नी ने इस साल मार्च में एयरलाइन के बोर्ड से इस्तीफा दिया था। नरेश गोयल ने चेयरमैन का पद भी छोड़ दिया था। गोयल ने 1993 में जेट एयरवेज की स्थापना की थी। जेट एक दौर में देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन थी।