पानीपत के हिसार में एक शादी कुछ ऐसी हुई कि जिसने दहेज प्रथा का स्टीरोटाएप तो तोड़ा ही लेकिन साथ ही बेटी बचाओ का संदेश भी दिया. दरअसल यह किस्सा हिसार के रामपुरा जैसे छोटे गांव में देखने को मिला. रामपुरा गांव के रहने वाले संजय ने हसनगढ़ निवासी सतबीर की बेटी संतोष के साथ बिना दहेज लिए शादी की. शगुन के तौर पर लिया भी तो क्या सिर्फ एक रुपया.
आज भी कई शहरों में दहेज प्रथा जारी है. दहेज लिया तो जाता है बस दहेज लेने का अंदाज बदल गया है. अब तो लड़के वालों के तरफ से कह दिया जाता है कि आप जो देंगे आपकी बेटी का है. मगर संजय ने यह सोच को तोडा भी और साथ ही छोटे शहर में एअक नई सोच को जन्म दिया. इसके अलावा, दुल्हन की डोली भी हेलीकॉप्टर में लेकर गए.
संजय के पिता सतबीर का कहना है कि बिना दहेज शादी करने के पीछे उद्देश्य बेटी बचाओ का संदेश देना था. ताकि लोग बेटी को बोझ न समझे. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पहली बार ऐसी शादी देखने को मिली है, जिसमें न तो दहेज लिया गया और बेटी शादी के बाद दूल्हे के साथ हेलीकॉप्टर में विदा हुई.
दूल्हे के पिता सतबीर ने बताया कि लड़की पिता के सामने केवल एक ही शर्त रखी थी कि दहेज नहीं लेंगे और शगुन भी केवल एक रुपया ही होगा. लड़की के परिजन की सहमति के बाद ही शादी के लिए तैयार हुए थे. उसका एक ही बेटा है. इसलिए उसकी इच्छा थी कि वह हेलीकॉप्टर में शादी करने जाए और बहू को हेलीकॉप्टर में लेकर आए. दुल्हन संतोष बीए पास है दूल्हा संजय बीए फाइनल में है. हेलीकॉप्टर सुबह करीब 11:30 बजे हसनगढ़ गांव में उतरा. इसमें दूल्हा संजय, उसका पिता सतबीर और चचेरा भाई कृष्ण कुमार सवार थे. इसमें पायलट प्राची जैन थीं.