श्री लंका के राष्ट्रपति सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह पर महिंदा राजपक्षे को देश का नया पीएम नियुक्त कर दिया। वहीं स्पीकर जयसूर्या ने उनके इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है। इसके साथ ही सिरीसेना ने 16 नवंबर तक संसद को भंग कर दिया है ताकि इस वक्त में राजपक्षे अपने लिए बहुमत का जुगाड़ कर सकें।
बता दें सिरीसेना और महिंदा राजपक्षे के पास इस वक्त 95 सीट हैं और यह बहुमत से कम है। विक्रमसिंघे के पास 106 सीट हैं और यह बहुमत से सिर्फ 7 सीट कम है।
श्री लंका में हलचल भारत के लिए टेंशन
श्री लंका हमेशा से ही भारत के लिए अहम सहयोगी देश रहा है, लेकिन राजपक्षे का झुकाव चीन की तरफ अधिक है। राजपक्षे के 2 बार के कार्यकाल में चीन ने श्री लंका में इन्फास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट में भारी निवेश किया था। विक्रमसिंघे सरकार ने बढ़ते कर्ज को देखते हुए चीन के कई प्रॉजेक्ट पर रोक लगा दी और भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। हालांकि, अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे का जीतना तय माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि कानून में परिवर्तन कर राजपक्षे की सत्ता में वापसी का रास्ता साफ किया जा सकता है। श्री लंका में 2 बार ही राष्ट्रपति बनने की अधिकतम सीमा तय है, लेकिन अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए इसमें बदलाव किया जा सकता है।
भारत और चीन की श्री लंका पर नजर
श्री लंका में चल रहे राजनीतिक घमासान पर भारत पूरी नजर रखे हुए है। भारत की तरफ से कहा गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि श्री लंका में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की जाएगी। दूसरी तरफ चीन भी श्री लंका के राजनीतिक हलचल पर मुस्तैदी से नजर रखे हुए है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने तो महिंदा राजपक्षे को पीएम बनने के लिए बधाई भी दे दी है।