अमृतसर: हिम्मत हो तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उम्र की बेड़ियां कितनी ही मजबूत क्यों न हों लेकिन बुलंद हौसले उन पर अक्सर जीत हासिल कर ही लेते हैं। वर्ल्ड कैंसर डे के मौके पर आज हम आपको कुछ ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं जो कि अमृतसर की रहने वाली सुदेश की है। सुदेश जिसने जिंदगी और मौत के बीच की लड़ाई, बड़ी ही बहादुरी से लड़ी और उनके इरादे इतने मजबूत थे कि आखिरकार ज़िंदगी की ही जीत हुई। लगातार बीमारियों की बेड़ियों में जकड़ी सुदेश के परिवार को साल 2012 में बड़ा झटका लगा, उन्हें मालूम हुआ कि सुदेश कैंसर से पीड़ित हैं। लेकिन जिंदगी के 65 सावन देख चुकीं सुदेश ने हिम्मत नहीं हारी और डटकर इसका मुकाबला किया।
कैंसर के इलाज के लिए सुदेश को जब डॉक्टर्स के पास ले जाया गया तो लो ब्लड प्रेशर के चलते डॉक्टर ने ऑपरेशन से इनकार कर दिया। सुदेश को पहले से ही कई बीमारियों ने घेर रखा था। जिसकी वजह से उनके हार्ट में भी दर्द रहने लगा। लेकिन सुदेश ने ऐसे में परिस्थितियों से समझौता करने की बजाय, डॉक्टर्स को ऑपरेशन के लिए मनाया और आखिरकार वो कामयाब रहीं।
सुदेश के संघर्ष की कहानी से उन लोगों को प्रेरणा मिलती है जो कठिन परिस्थितियों में लड़ाई लड़ने की जगह पहले ही हार मान लेते हैं। सुदेश ने उम्र के जिस पड़ाव में कैंसर से जंग लड़ी है वो वाकई बेहद काबिल-ए-तारीफ है।