पद्मभूषण और फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के साहित्यकार, कवि, लेखक और गीतकार गोपालदास सक्सेना 'नीरज' का दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया है. नीरज का निधन 93 वर्ष की उम्र में शाम सात बजकर 35 मिनट पर हुआ.
नीरज के पुत्र शशांक प्रभाकर ने बताया कि आगरा में शुरुआती उपचार के बाद उन्हें बुधवार को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, लेकिन कोशिशों के बावजूद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका. उन्होंने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा और उसके बाद पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा में हुआ था. नीरज अपने जीवन भर कविता लिखने में लगे रहे. जीवन में प्रत्येक क्षण को उन्होंने कुछ न कुछ भोगा. उनका बचपन भी गरीबी में बीता था. गोपाल दास नीरज का फिल्मी सफर भले ही पाँच साल का रहा हो लेकिन इस दौरान उन्होंने कई प्रसिद्ध फिल्मों के गीतों की रचना की. उनकी कविताओं का अनुवाद गुजराती, मराठी, बंगाली, पंजाबी, रूसी आदि भाषाओं में हुआ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर नीरज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि उनके द्वारा किए गए काम सदियों तक याद किए जाएंगे और लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे.
मंत्री मनीष सिसोदिया ने नीरज की पंक्तियां 'कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे..' ट्विर पर डालकर शोक प्रकट किया.