पठानकोट शहर जिसका इतिहास बहुत पुराना है, जिसका नाम पेथान से बदलते बदलते पठानकोट बना. जहां पर शिमला पहाड़ी के नाम से प्रसिद्ध एक जगह है जिस पर किसी जमाने में राजा का किला हुआ करता था. अगर बात पठानकोट से बाहर की करें तो ये अर्द पहाड़ी इलाका होने के कारण इसके बाहरी इलाके की सुंदरता को चारचांद लगा देता है. इसके अलावा हिमाचल और दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर की सीमा लगती है. पठानकोट ही एक मात्र ऐसा शहर हैं जहां से हिमाचल की वादियों में छोटी ट्रेन जाती है. जिसमें सफर कर लोग पहाड़ी इलाके का आनंद लेते है. इसके अलावा रंजीत सागर डैम देखने के लिए सैलानी दूर दूर से आते है. अगर बात करें सिक्योरिटी की तो इसके लिहाज से पठानकोट के विधानसभा हल्का भोआ के साथ इंडो पाक सीमा लगती है. जिसके लिए जहां हमारे बीएसएफ के जवान चौबीस घंटे देश की सरहद की रक्षा के लिए तैनात रहते है. वहीं शहर की अंदरूनी सुरक्षा के लिए पुलिस मुसतेद है.
चलिए अब आपको बताते है कि पठानकोट की गलियों और शिमला पहाड़ी की सच्चाई, जहां पर कभी किसी राजा का महल हुआ करता था. जो कि अब याद बन कर रह गया है. जिसकी निशानियां देश की आजादी से कई साल पहले खत्म हो चुकी है. अगर अब कुछ बचा है तो बस शिमला पहाड़ी के नांम से मशहूर जगह, जहां पर बच्चे खेलते है और बजुर्ग ताश खेल कर अपना समय व्यतीत करते है. शहर के बजार तंग है जहां पर कहीं-कही पुरानें मकान दिखाई दे जाते है.
इसके अलावा शहर से बाहर निकलते ही हिमाचल की पहाड़ियां शुरू हो जाती है. अगर किसी सैलानी ने हिमाचल या जम्मू कश्मीर जाना होता है, तो वो पठानकोट से हो कर गुजरता है. इस बारे में जब इतिहासकार बी.आर कपूर से बात की गई तो उन्होंने बताया की वो पठानकोट पर इतिहासिक किताब लिख चुके है. जिसमें उन्होंने पठानकोट के नाम से लेकर पठानकोट शहर कैसे बना उसकी जानकारी दी है.
अगर बात सिक्योरिटी की करें तो 2016 की सुबह पठानकोट एयरवेस पर आतंकी हमला हुआ था. जिसके बाद इसकी सिक्योरिटी पहले से ज्यादा बड़ा दी गयी है. जहां इंडो पाक सीमा पर बीएसएफ तैनात किए है. वहीं पुलिस द्वारा भी ‘सैकिंड डिफेंस ऑफ लाइन’ बनाई गई है. जहां से हर आने जाने वाले पर नजर रखी जाती है. इसके अलावा पुलिस के चेकपोस्ट भी होते है.