केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि जनता को अच्छी सड़कें चाहिए तो टोल चुकाना पड़ेगा। गडकरी ने मंगलवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि टोल जिंदगी भर बंद नहीं हो सकता। कम-ज्यादा हो सकता है। टोल का जन्मदाता मैं हूं। अगर आपको अच्छी सेवाएं चाहिए तो कीमत चुकानी पड़ेगी। सरकार के पास पर्याप्त फंड नहीं है।
गडकरी अपने मंत्रालय के लिए अनुदान की मांग पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले 5 साल में सरकार ने 40 हजार किलोमीटर हाइवे का निर्माण किया। कुछ सदस्यों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में टोल से जुटाई रकम पर चिंता जताई थी। गडकरी ने कहा कि उन इलाकों में टोल लिया गया जहां लोगों की देने की क्षमता है। इस राशि का इस्तेमाल ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में सड़कें बनाने के लिए किया जा रहा है।
गडकरी ने यह भी बताया कि सड़क परिवहन मंत्रालय दिल्ली से मुंबई के बीच ग्रीन एक्सप्रेस-वे की योजना पर काम कर रहा है। इसके जरिए दिल्ली से मुंबई की दूरी 12 घंटे में तय करना संभव हो पाएगा। यह राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के अति पिछड़े और आदिवासी इलाकों से होकर गुजरेगा। इससे जमीन अधिग्रहण के 16 हजार करोड़ रुपए भी बचेंगे। सड़क निर्माण में जमीन अधिग्रहण को प्रमुख समस्या बताते हुए गडकरी ने कहा कि राज्य सरकारों को इसका समाधान तलाशना चाहिए। 80% तक जमीन अधिग्रहण के बिना हम प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाते। इस सिद्धांत का सख्ती से पालन किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल और बिहार में अधिग्रहण की रफ्तार बहुत धीमी है। गडकरी का कहना है कि जब 2014 में उन्होंने मंत्रालय संभाला था तब 3.85 लाख करोड़ के 403 प्रोजेक्ट बंद पड़े थे। मोदी सरकार ने इन पर काम शुरू कर बैंकों के 3 लाख करोड़ रुपए के के एनपीए बचाए। अब 90% प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।