जीएसटी को लागू हुए देश में आज 2 साल पूरे हो चुके है। इस मौके पर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे बेहद सफल टैक्स सिस्टम करार दिया है। उन्होंने कहा है कि जीएसटी के लिए जितनी भी आशंकाएं व्यक्त की गई थीं, वे सब आधारहीन साबित हुई हैं। जीएसटी देश के सुधार के लिए बहुत अहम रहा है क्योंकि इसके लागू होने के बाद देश में कर देने वालों की संख्या में आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ोतरी हुई है।
पहले के 65 लाख लोगों के मुकाबले आज एक करोड़ बीस लाख लोग जीएसटी के तहत टैक्स दे रहे हैं। इससे केंद्र के साथ-साथ राज्यों की आय भी बढ़ी है और सरकारों के पास जनोपयोगी सेवाओं को बढ़ाने के लिए ज्यादा वित्तीय ताकत आई है। उन्होंने कहा है कि भारत जैसे देश के लिए एक राष्ट्र एक टैक्स का सिस्टम सही नहीं साबित हो सकता जहां भारी संख्या में आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है।
एक लेख के जरिए अपनी बात रखते हुए अरुण जेटली ने कहा है कि जीएसटी के लिए राज्यों को राजी करना बड़ा कठिन काम था, लेकिन अंततः लगातार 5 सालों तक उनकी आय में 14 फीसदी की बढ़ोतरी करने के वायदे के बाद इस मुद्दे पर सबको साथ लाया जा सका। लेकिन अब जबकि दो वर्ष के जीएसटी के आंकड़े सबके सामने आ चुके हैं, यह देखा गया है कि देश के बीस राज्यों ने 14 फीसदी से भी ज्यादा आय बढ़ोतरी हासिल किया है और अब उनके द्वारा अलग से फंड देने की आवश्यकता भी नहीं है।
जेटली के मुताबिक जीएसटी के लागू होने से पहले टैक्स को लेकर 17 कानून मौजूद थे। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रावधान होने के कारण व्यापारियों के साथ-साथ सरकारों को भी कष्ट देने वाला था। वैट 14.5 फीसदी, एक्साइज ड्यूटी 12.5 फीसदी सहित अनेक टैक्स लगते थे। इस व्यवस्था में उपभोक्ता को अंततः लगभग 31 फीसदी तक टैक्स देना पड़ता था। जबकि जीएसटी के लागू होने के बाद यह अधिकतम 28 फीसदी रह गया है।
वही एक टैक्स सिस्टम पर जेटली ने कहा कि इस देश में कभी भी एक टैक्स सिस्टम को सही नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि जिस देश की बड़ी संख्या में आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती हो, वहां सबके लिए एक टैक्स निर्धारित करना किसी भी तरह न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि हवाई चप्पल और मर्सिडीज कार पर एक सामान टैक्स नहीं लगाया जा सकता।