फ्रांस ने कश्मीर मामले पर भारत का साथ दिया है। गुरुवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साझा बयान में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले में भारत और पाकिस्तान को ही द्विपक्षीय तरीके से हल खोजना होगा। किसी तीसरे पक्ष को इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और न ही क्षेत्र में हिंसा फैलाने की कोशिश हो। मैक्रों ने कहा कि कश्मीर में शांति के साथ लोगों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।
साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी ने कहा कि जी-7 समिट के लिए राष्ट्रपति मैक्रों का आमंत्रण मेरे प्रति उनके मैत्री भाव का उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म का मुकाबला करने में भारत को फ्रांस का बहुमूल्य समर्थन मिला है। उन्होंने इसके लिए मैक्रों का धन्यवाद किया। मोदी ने इसे दोनों देशों की दोस्ती के लिए यादगार पल बताते हुए कहा, हेरिटेज साइट पर मेरा और मेरे डेलिगेशन का भव्य और स्नेहपूर्वक स्वागत किया गया। इसके लिए मैक्रों का शुक्रिया।
प्रधानमंत्री ने जी-7 के एजेंडे को पूरा करने में भारत के सहयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि फ्रांस और भारत की दोस्ती लिबर्टी, इक्वैलिटी और फ्रेटरनिटी के ठोस आदर्शों पर टिकी है। हमने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। आज आतंकवाद, पर्यावरण, क्लाइमेट चेंज और तकनीक में समावेशी विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत और फ्रांस मजबूती से साथ खड़े हैं।
फ्रांस ने कश्मीर मामले पर भारत का साथ दिया है। मोदी के साथ साझा बयान में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने जम्मू-कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले का हल भारत और पाकिस्तान को ही द्विपक्षीय तरीके से खोजना होगा। किसी तीसरे पक्ष को इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और न ही क्षेत्र में हिंसा फैलाने की कोशिश हो। मैक्रों ने कहा कि कश्मीर में शांति के साथ लोगों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।